Saakhi – Sahibjada Ajit Singh Ji Ka Hamla
साखी- साहिबजादा अजीत सिंह जी का हमला
बाबा अजीत सिंह जी, बाबा जुझार सिंह जी गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के बड़े साहिबजादे थे। बाबा अजीत सिंह का जन्म सन् 1686 ईस्वी में पाऊंटा साहिब में माता सुंदरी जी की कोख से हुआ। बाबा जुझार सिंह जी का जन्म सन् 1690 ईस्वी को आनंदपुर साहिब में हुआ। साहिबजादों की शिक्षा दीक्षा गुरु जी की निगरानी में ही हुई। जिसके चलते दोनों घुड़सवारी, शस्त्र विद्या, तीरंदाजी में पूर्णत: निपुण थे।
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एक बार आनंदपुर साहिब में गुरुजी का दरबार सजा हुआ था कि तभी एक ब्राह्मण जिसका नाम देवदास था, रोता बिलखता हुआ दरबार में उपस्थित हुआ। यह ब्राह्मण होशियापुर के नजदीक एक गांव का निवासी था। गुरु जी ने ब्राह्मण को चुप करवा कर रोने का कारण पूछा। ब्राह्मण ने बताया, ‘मैं अपनी नव विवाहिता पत्नी की डोली लेकर आ रहा था, जिसे पठानों ने छीन लिया है। मैंने बहुत चीख पुकार की लेकिन किसी ने मेरी एक नहीं सुनी। वे मुझे पीटकर मेरी पत्नी छीन कर चले गये। अब मैं आपकी शरण में आया हूं। आप मेरी सहायता कीजिए और मेरी पत्नी मुझे वापिस दिलवाएं।’
गुरु जी ने दरबार में उपस्थित साहिबजादा अजीत सिंह को हुक्म करते हुए कहा कि बस्सी के पठान जाबर खां ने इस ब्राह्मण की पत्नी छीन ली है। तुम सिंघों को साथ लेकर जाओ और बिजली जैसी फुर्ती दिखाते हुए ब्राह्मणी को कैद से मुक्त कर इसके हवाला करो। जबार खां को उसके किये बुरे कर्मों की भी कड़ी सजा दो।
साहिबजादा अजीत सिंह ने सौ सिंघों को साथ लिया और ब्राह्मण को अपने साथ घोड़े पर बिठा लिया। सुबह होने से पहले ही बस्सी पहुंच पठानों पर हल्ला बोल दिया। सिंघ हवेली का दरवाजा तोड़कर कर अंदर आ गए। पठानों ने जब सिंघों को आते हुए देखा तो ‘सिक्ख आ गए, सिक्ख आ गए’ का शोर मचना शुरू कर दिया। किसी पठान की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो सिंघों से टक्कर ले सके। जाबर खां अंदर एक कमरे में छुपा हुआ था। सिंघों ने घबराए हुए जाबर खां को पकड़ लिया। ब्राह्मण ने भी दोषी जाबर खां को पहचान लिया था। ब्राह्मणी को भी अंदर से ढूंढ कर ब्राह्मण के हवाले कर दिया।
साहिबजादा और सिंघों के दल ने जाबर खां पठान को बांध कर घोड़े पर बिठा लिया और ब्राह्मणी सहित आनंदपुर साहिब पहुंचे। ब्राह्मणी ब्राह्मण के सुपुर्द कर दी गई व जाबर खां को उसके नीच कर्मों की कड़ी सजा दी गई। गुरु साहिब साहिबजादा अजीत सिंह के इस कारनामें से बहुत खुश हुए।
शिक्षा : अगर आपके पास बल है तो निर्धन की मदद करें, जुबान से भी निर्धन को
प्यारे बोल बोलें, अच्छे गुणों को भी निर्धन को दें।
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