Saakhi – Peer Budhu Shah Ki Vinmrta Wali Qurbani

Saakhi - Peer Budhu Shah Ki Vinmrta Wali Qurbani

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पीर बुद्धू शाह की विनम्रता वाली कुर्बानी

पीर बुद्धू शाह गाँव सढोरा हिमाचल प्रदेश के रहने वाले एक मुसलमान फकीर थे। गुरू गोबिंद राय जी पाउंटा साहब गए हुए थे। उनको पता चला कि गुरू नानक की गद्दी का दसवाँ स्वरूप पाऊंटा साहब निवास कर रहा है। उन दिनों में पीर जी भी पहाड़ी इलाकों की सैर कर रहे थे। वह पालकी पर बैठ कर गुरू जी के पास पाऊंटे पहुँचे, जैसे उस समय के राजा महाराजा अपनी शाही ठाठ के साथ पालकियाँ और नौकरों-चाकरों के साथ निकला करते थे। गुरू जी के दर्शन करने के बाद पीर जी को वह शान्ति प्राप्त हुई जो उनको धार्मिक पुस्तकेंं या भजन बंदगी नहीं दे सकी थी। गुरू जी के साथ विचार विमर्श कर उनके मन के सभी शंके दूर हो गए। वापस सढोरा जाने के समय उन के मन में से तूँ और मैं का भेद खत्म हो गया था।

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पहली मुलाकात के बाद से ही पीर बुद्धू शाह का गुरू जी के पास आना साधारण हो गया। उनको आने के लिए अब पालकी की जरूरत नहीं रही। उन्होंने देख लिया कि गुरू जी की लड़ाई किसी राज के लिए नहीं, सिर्फ उस जुल्म के खिलाफ है, जो गरीब जनता पर हो रहा था। जुल्म करने के लिए धर्म की आड़ ली जा रही थी। पीर ने पाँच सौ पठान भी गुरू जी के पास भर्ती करवाए जिनको औरंगजेब की फौज से शिया होने के कारण निकाल दिया गया था।

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पहाड़ी राजाओं ने भंगानी का युद्ध शुरू करने से पहले पाँच सौ पठानोंं में से लालच देकर चार सौ पठान अपने साथ मिला लिए। पठानों की इस करतूत का जब पीर बुद्धू शाह को पता चला तो वह अपने सात सौ मुरीद, चार पुत्र और दो भाइयों को लेकर गुरू जी की मदद को पहुंच गए। भंगानी में भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में उनके दो पुत्र शहीद हो गए। युद्ध में पहाड़ी राजा सिक्खों से हार कर भाग गए। युद्ध खत्म होने पर जब पीर जी सढौरा वापस जाने के लिए गुरू जी से विदाई लेने आए तो पीर जी को गुरू जी ने पूछा, पीर जी, आपने इस युद्ध में हमारी बहुत मदद की है। आप की कोई खास माँग हो तो आप बता सकते हो। गुरू नानक के घर में से आपकी वह माँग पूरी की जायेगी?

उस समय गुरू जी अपने केशों में कंघा कर रहे थे। पीर जी ने कहा, गुरू जी, आप मेरी सेवा पर प्रसन्न हुए हैं तो मुझे यह कंघा और इसके साथ साफ किये अपने सुंदर केश प्रदान करने की कृपालता करो। गुरू जी ने केशों सहित वह कंघा पीर बुद्धू शाह को बख्श दिया। वह कंघा केशों सहित नाभा के महाराजा भरपूर सिंह ने पीर जी की औलाद से मुँह माँगी रकम दे कर खरीद लिया था। औरंगजेब को जब पता चला कि पीर जी ने गुरू जी की भंगानी युद्ध में मदद की थी तो उस ने उस्मान खान को फौज दे कर सढोरा भेजा। उस्मान खान ने पीर जी को गिरफ्तार कर लिया। गुरू जी की मदद करने की सजा के तौर पर उन्हें जीवित जमीन में गाड कर शहीद कर दिया गया।

शिक्षा – पीर जी जैसे हमें भी गरीब पर जुल्म करने वाले को रोकने के लिए प्रयास करना चाहिए और अपने गुरू से सिर्फ उनकी खुशी ही माँगनी चाहिए।

Waheguru Ji Ka Khalsa Waheguru Ji Ki Fateh
– Bhull Chuk Baksh Deni Ji –

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