Saakhi – Kiratpur Ka Dawakhana Or Dara Sikoh

Saakhi - Kiratpur Ka Dawakhana Or Dara Sikoh

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कीरतपुर का दवाखाना और दारा शिकोह

गुरू हरि राय जी का जन्म 16 जनवरी, 1630 ईस्वी को कीरतपुर में बाबा गुरदित्ता जी के घर हुआ। गुरू हरगोबिंद जी ने उनको स्वयं शास्त्र-विद्या और शस्त्र-विद्या दी। गुरू हरगोबिंद जी ने उनको अगस्त 1643 ईस्वी में गुर-गद्दी सौंप दी। गुरु साहिब के पास बाईस सौ घुड़सवार हमेंशा तैयार रहते थे। उन्होंने कीरतपुर के नजदीक पतालगढ़ किला भी बनाया था, जिसमें हर समय गोला-बारूद तैयार रखा जाता था।

गुरू जी ने कीरतपुर में एक बहुत बड़ा दवाखाना भी खोला, जिसमें अच्छे वैद्य रखे और देश भर से दवाएँ मंगवा कर रखी। यहाँ हर जरूरतमंद का मुफ्त इलाज किया जाता। उदासी डेरों और प्रचार-स्थानों पर जहाँ पहले लंगर मिलता था, गुरू जी ने उनको मुफ्त इलाज करने का हुक्म जारी कर दिया। इस तरह कीरतपुर का दवाखाना देश भर में प्रसिद्ध हो गया। बादशाह शाहजहाँ को अपने बड़े पुत्र दारा शिकोह से बहुत प्यार था उसके छोटे पुत्र औरंगजेब के लिए यह असहनीय था। उसने दारा शिकोह को खत्म करने के लिए, एक दिन उसके रसोइये से मिलकर उसके खाने में शेर की मूँछ के बाल खिला दिए, जिससे दारा शिकोह का पेट खराब हो गया।

शाही हकीमों उसका बहुत इलाज किया परन्तु वह ठीक नहीं हुआ। हकीमों ने शाहजहाँ को कीरतपुर के दवाखाने से दवा मंगवाने की सलाह दी। शाहजहाँ ने कहा, ‘जिनके खिलाफ मैं फौजें भेजता रहा हूँ, उनसे दवा कैसे माँगूं ?’ पीर हसन अली ने कहा, ‘गुरू नानक के घर का किसी के साथ कोई वैर नहीं। वह सदा दूसरे का भला करता है।’ आप दारा शिकोह की जान बचाने के लिए उनसे दवा मंगवा लो।

शाहजहाँ ने गुरू जी के नाम पत्र लिखकर, अपने खास आदमी के हाथ कीरतपुर भेजा। गुरू जी ने पत्र मिलने पर आवश्यक दवा शाहजहाँ को भेज दी जिसको लेकर दारा शिकोह के पेट का रोग दूर हो गया। बाद में दारा शिकोह गुरू जी का धन्यवाद करने के लिए कीमती भेटावें ले कर स्वयं कीरतपुर उपस्थित हुआ।

शिक्षा – गुरू नानक का दर सब के लिए खुला है और अपने दुश्मन की भी मदद करने के लिए सदा तैयार रहता है।

Waheguru Ji Ka Khalsa Waheguru Ji Ki Fateh
– Bhull Chuk Baksh Deni Ji –

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