Saakhi – Guru Nanak Ji Ka Nawab Ko Nasihat Dena
साखी – गुरु नानक जी का नवाब को नसीहत देना
सुल्तानपुर में मोदीखाने की नौकरी मिलने के बाद, एक दिन गुरु नानक देव जी वेंई नदी में स्नान करने के लिए गए और बाहर नहीं निकले। यह घटना 1497 ई. की है, तब गुरुजी की उम्र 27 साल की थी। भाई मरदाना ने काफी इंतजार किया और आखिर में थक हार कर घर की ओर रवाना हो गया तथा नवाब को नदी में में से बाहर नहीं निकलने की सूचना दी।
नवाब ने अपने कारिंदे गुरु जी की तलाश मेंं भेजे पर काफी खोजने के बाद भी उन्हें भी गुरुजी ना तो नदी में और ना ही आसपास ही कहीं मिले। शहर के सभी लोगों को अपने एक ईमानदार और समझदार मोदी के लापता होने का बहुत अफसोस हुआ। इस घटना के तीन दिन बाद किसी ने गुरुजी को कब्रिस्तान में बैठे देखा। गुरुजी के कब्रिस्तान में बैठे होने की सूचना जब नवाब दौलत खां के पास भी पहुंच गई। इस समय शहर काजी नवाब के पास आया हुआ था। नवाब ने उन्हें अपने साथ लिया और गुरुजी के पास कब्रिस्तान में पहुंच गये। यहां उन्होंने गुरुजी को यह कहते हुए सुना कि ‘यहां ना कोई हिन्दु है और ना कोई मुसलमान’।
यह सुन उन दोनों को बड़ी हैरानी हुई। उन्होंने गुरुजी से कहा ‘हे नानक!, अगर आपको हिन्दुओं और मुसलमानों में कोई फर्क नहीं लगता, सारे एक खुदा के पैदा किए हुए लगते हैं, अगर आपका ख्याल है कि खुदा के दरबार में इनके अच्छे बुरे कर्मों के आधार पर फैसला होता तो आप हमारे साथ खुदा के घर मस्जिद में, खुदा की भेजी नमाज पढऩे के लिए चलें।’ गुरुजी नवाब के कहने पर उनके साथ मस्जिद के अंदर चले गए।
गुरु के अलावा सभी नमाज पढऩे लगे। नमाज खत्म होने पर नवाब ने गुरुजी से पूछा, ‘आपने नमाज क्यों नहीं पढ़ी ? आप चुप क्यों खड़े रहे, जब हम नमाज पढ़ रहे थे ?’ गुरुजी ने उत्तर दिया, ‘नवाब साहब, मैं नमाज में किसका साथ देता ? आपका मन तो कंधार में घोड़े खरीदने के लिए गया हुआ था चाहे आप शारीरिक रूप से यहां मौजूद थे। नवाब ने कहा, ‘नानक, अगर मेरा मन नमाज में हाजिर नहीं था तो आपको काजी का साथ देना चाहिए था।’ गुरुजी ने कहा, ‘नवाब साहब, काजी का मन घर में नव प्रसूता घोड़ी की देखभाल कर रहा था।’ यह सुनकर काजी ने कहा, ‘नवाब साहब, नानक सच कह रहा है। मेरी घोड़ी का प्रसव आज सुबह ही हुआ है।
नमाज पढ़ते वक्त मेरे मन में यही ख्याल था कि कहीं घोड़ी का बच्चा खड्डे में ना गिर जाए और निकल ना सके।’ गुरु नानक ने कहा, ‘काजी साहब, खुदा के दर पर वहीं नमाज कबूल होती है जो मन एकाग्र कर की जाए। मन की एकाग्रता के बिना पढ़ी गयी नमाज खुद के साथ धोखा है और दूसरों के लिए दिखावा है।’
शिक्षा – हमें नितनेम करते वक्त और बाणी पढ़ते वक्त अपना मन एकाग्र रखना चाहिए।
Waheguru Ji Ka Khalsa Waheguru Ji Ki Fateh
– Bhull Chukk Baksh Deni Ji –