Saakhi – Guru Gobind Singh Ji Ki Sohina Or Mohina Par Mehar

Guru Gobind Singh Ji Ki Sohina Or Mohina Par Mehar - A Beautiful Story
Guru Gobind Singh Ji Ki Sohina Or Mohina Par Mehar – A Beautiful Story

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गुरू गोबिन्द सिंह जी की सोहना और मोहना पर मेहर

सिर पर कलंदरनुमा टोपी और हाथ में ताजा फूलों की टोकरी लेकर एक फकीर सतगुरु गुरु गोबिन्द सिंह जी के दरबार में हाजिर हुआ। उसने फूलों की टोकरी सतगुरू जी के आगे रखी और गुरु साहिब के चरणों पर अभिवादन कर सतगुरू के सम्मुख खड़ा हो गया। सतगुरू जी ने पूछा तूँ कौन है? फकीर बोला मैं रोडा जलाली, दूर से आपके दर्शन करने के लिए आया हूँ। सतगुरू जी बोले रोडा जलाली कि रोडा पलाली? फकीर कहने लगा, ना पातशाह! रोडा जलाली।

सतगुरू जी कहने लगे, अगर तू जलाली था तो हमारे लिए कोई ठोस वस्तु लेकर क्यों नहीं आया? रोडे ने उत्तर दिया, पातशाह ! मैं फकीर हूँ, मेरे पास कुछ नहीं है। सतगुरू कलगीधर जी कहने लगे अगर तेरे पास कुछ नहीं था तो खाली हाथ ही आ जाता । फकीरों के खाली हाथ सुंदर लगते हैं। फकीर ने उत्तर दिया, ‘ओ जलाल हू दस्ते खाली रुसवां’ (भाव ओ अल्लाह के नूर ! अल्लाह के नूर के पास आना हो तो खाली हाथ नहीं आते।)

सतगुरू उत्तर दिया, ओ मदार! दिले खाली रुसवां अस्त (ओ मदार! शर्मिंदगी दिल खाली होने के साथ होती है) यहाँ हाथों की कहानी नहीं, प्रेम की खेल है, कहते हुए अपने नयन बंद कर लिए। कुछ समय के बाद सतगुरू जी ने रोडे को कहा, ओ पलाली ! तूनें फूल नहीं बल्कि, तूने दो दिल, तूने दो दिल ही नहीं तोड़े बल्कि तूने दो दिल ही नहीं बल्कि तूने दो जिंदा रूहें तोड़ दीं। इतने वचन कह कर सतगुरू जी ने भाई मनी सिंह जी को इशारा किया कि हाथ मार कर इस पलाली की टोपी उतार दो।

भाई मनी सिंह जी ने उस रोडे की टोपी को हाथ मार कर उतार दिया और उस की टोपी में से छन्न-छन्न करती पाँच सात मोहरें और रुपए धरती पर बिखर गए। सतगुरू का यह कौतुक देख कर सारी संगत हँस पड़ी और रोडे जलाली का मुँह पीला पड़ गया और शर्मिंदगी से पानी से पतला हो सतगुरू जी के चरणों पर गिर पड़ा।

सतगुरू जी ने वचन किया रोडे! तूं ईश्वर के जलाल वाला रोडा या सोने के जलाल वाला रोडा? रोडा जलाली चुप था। सतगुरू जी कहने लगे, इन फूलों में से ख़ुश्बू नहीं आती, बल्कि सहम की और गम की फरियाद सुनाई देती है। यह बेजान, किसी प्यारे के प्यार को झकझोडऩे की आहें मारते हैं। तूनें पुण्य नहीं महा पाप कमाया है।

रोडा तो शर्मिंदगी का मारा वहां खड़ा रहा। सतगुरू कलगीधर जी उस जगह पहुँचे जहाँ ‘सोहना और मोहना’ पति-पत्नि ने सतगुरू जी के प्रकाश उत्सव मौके भेंट करने के लिए, पीला गेंदा और गलदौदियां उगाई थी, उनकी बरबादी हुई देखकर सदमें में बेहोशी की हालत में पड़े थे।

सतगुरू जी ने दोनों को होश में लाकर उनको सावधान किया और दोनों को कृपा से नदर निहाल कर उनकी सेवा कबूल कर उनका लोग परलोक सवारा। होश में आने पर सोहना और मोहना को रोडे जलाली की करतूत का पता लगा और यह संकेत भी कानों पड़ी कि रोडे जलाली को सिक्खों ने पकड़ा हुआ है।

परोपकारी सिक्ख सिक्खनी ने गुरु साहिब के चरणों में विनती की, पातशाह! जहाँ आप जी ने हमारे पर मेहर की हैं, वहीं कृपा करो, गंजे जलाली को भी बख्श दीजिए, हम संसारी जीव भूलों के पुतले हैं। हम क्षण-क्षण अवगुण करते हैं, हमारी भूलों और अवगुणों के लिए एक तेरी रहमत दृष्टि और तुम्हारा नाम ही दारू हैं सो कृपा करो रोडे को बख्श करके तार दीजिए।

सतगुरू जी ने सोहना मोहना की यह क्षमा दृष्टि और कोमलता देख कर रोडे को बुला कर आशीर्वाद दी। पीठ और सिर पर हाथ फेरा, जो अंदर कमी थी गुरू रहमत के साथ दूर हो गई और सतगुरू रोडे को संबोधन करके कहा, रोडे जलाली ! तगड़ा हो, जुड़ जा हुसनों के जलाल के साथ और टूटे हुए को जोड़, हुसनल जमाल के साथ। रोडा असली रूप में गुरू मेहर के साथ जलाल वाला हो गया। नाम की गति अंदर चल पड़ी, परतेंं, राज, छल, कपट, गुरू मेहर का हाथ पीठ पर फिरने से अंदर से निकल गया।

शिक्षा – एक गुरू का दर ही एक ऐसा दर है जो बुरा करने वालों के साथ भी नेकी करके उनका लोग परलोक सवार देता है। हमें भी चाहिए कि गुरू की तरफ जाते हुए हुए खाली मन ले कर न जाए।

Waheguru Ji Ka Khalsa Waheguru Ji Ki Fateh
– Bhull Chukk Baksh Deni Ji –

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