Ghas Khodne Wala Gareeb Sikh
घास खोदने वाला गरीब सिक्ख
पूर्ण गुरु श्री गुरु हरगोबिंद जी को प्रेमी सिक्ख श्रद्धा से सच्चा पातशाह जी कह कर सत्कार देते थे। बादशाह जहांगीर को यह बात अच्छी नहीं लगती थी। महिमा प्रकाश ग्रंथ में लिखा है ‘सभ संगत जिस दर्शन को आवै। सच्चे पातशाह कह के बुलावै।’
एक बार गुरु हरगोबिंद साहिब जी और जहांगीर बादशाह सैर के लिए गए। एक अच्छी जगह देखकर उन्होंने ठहरने का निर्णय लिया, जिस पर बादशाह और गुरुजी का डेरा पास-पास लगाया गया। एक गरीब घास खोदने वाला सिक्ख गलती से बादशाह जहांगीर के तंबू में चला गया और एक टका (पैसे) व घास से भरा बोरा (गठड़ी) रखकर बादशाह से कहा, ‘सच्चे पातशाह ! यमदूतों की मार से बचाना। मेरा जन्म मरण का चक्कर काटना। कृपा करनी।’ यह सुन कर बादशाह को अंदर से कुछ महसूस होने लगा कि सिक्ख छठे पातशाह को सच्चे पातशाह क्यों कहते हैं। उसने उस गरीब घास खोदने वाले सिक्ख से कहा ‘प्यारे सिक्ख, मैं यमदूतों से नहीं बचा सकता। जन्म-मरण नहीं काट सकता, ऐसी कृपा करने वाले सच्चे पातशाह का डेरा आगे है। मैं तो केवल इस दुनिया के पदार्थ दे सकता हूं।’ यह सुनकर उस बेपरवाह, गुरु के प्यार में भीगे हुए सिक्ख ने वहां रखा टका और घास की गठड़ी उठा ली और गुरु के तंबू के अन्दर चला गया। वहां पर भी उसने कहा ‘सच्चे पातशाह ! यमदूतों की मार से बचाना। मेरा जन्म मरण का चक्कर काटना। कृपा करनी।’ गुरुजी ने कहा ‘प्यारे सिक्ख, नाम जपा करो, गुरु नानक तेरी रक्षा करेंगे।’ यह सब देख जहांगीर को भी आज पता चल गया था कि गुरु हरगोबिंद साहिब जी को सच्चा पातशाह क्यों कहते हैं, वे इस लोक की खुशियां भी देते हैं और जन्म-मरण का चक्कर भी मिटा देते हैं।
शिक्षा : दुनिया का बादशाह धन, दौलत, राजपाट आदि दे सकता है लेकिन यमदूतों से रक्षा नहीं कर सकता। यमदूतों से रक्षा सिर्फ सच्चा पातशाह ही कर सकता है। हमें भी सच्चे पातशाह के आगे अपनी झोली फैलानी चाहिए जो ना सिर्फ इस लोक के सुख ही देने में समर्थ में बल्कि परलोक के सभी सुख भी देता है।