Saakhi – Baba Srichand Ji Or Guru Sahib
बाबा श्रीचंद जी और गुरु साहिब
गुरु नानक साहिब जी के बड़े पुत्र बाबा श्री चंद जी, गुरु साहिब जी के चौथे उत्तराधिकारी गुरु रामदास साहिब जी के दर्शन करने के लिए अमृतसर आए।
बाबा श्री चंद जी ने गुरु जी का उपहास ओर नीचा दिखाने का प्रयास करते हुए कहा, हे रामदास! आपने इतनी लम्बी दाढी क्यों रखी है ?
गुरु साहिब ने जवाब दिया, मैंने यह लंबी दाढ़ी आप जैसे महापुरुषों के पवित्र चरणों को पौंछने (साफ करने) के लिए रख रखी है।
गुरु साहिब की विनम्रता ने बाबा श्री चंद जी को घायल कर दिया। वे गुरु साहिब जी के चरणों पर गिर गये और कहा कि मुझे अब पता चल गया है कि गुरु साहिब ने मुझे क्यों नहीं चुना ? और मेरी बजाए आप इस सिंहासन पर बैठे हो।
गुरबाणी का उपदेश है –
कबीरा जहा गिआनु तह धरमु है जहा झूठु तह पापु ॥
जहा लोभु तह कालु है जहा खिमा तह आपि ॥155॥
कबीर, जहाँ ज्ञान ब्रह्मबोध वहां नेकी है जहाँ झूठ है वहाँ पाप है। जहाँ लालच है वहाँ मौत है और जहाँ माफी है, वहाँ वाहिगुरु स्वयं ही है।
शिक्षा – हमें गुरु साहिब के आदेशानुसार विनम्रता को धारण करना चाहिए। जहाँ विनम्रता और माफी होती है वहां वाहिगुरु की कृपा सदा बनी रहती है।
Waheguru Ji Ka Khalsa Waheguru Ji Ki Fateh
– Bhull Chuk Baksh Deni Ji –