Pehla Parkash Sri Guru Granth Sahib Ji – A Brief History in Hindi

Pehla Parkash Sri Guru Granth Sahib Ji - A Brief History in Hindi
Pehla Parkash Sri Guru Granth Sahib Ji – A Brief History in Hindi

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श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी के पहले प्रकाश का संक्षेप इतिहास

चँवर तख्त के मालिक जुगो-जुग अटल, श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी, मानव समाज के समग्र कल्याण के लिए, शुद्ध मोतियों का खजाना, अकाल पुरख का एक दिव्य उपहार है। इस पावन पवित्र ग्रंथ में गुरु अरजन देव जी महाराज ने भारत के विभिन्न भागों में अकाल पुरख की भक्ति कर रहे उन भक्तों की बाणी का संकलन किया जिन्होंने सम्पूर्ण मानव जाति को शांति, आपसी भाईचारे, विनम्रता तथा सेवा सिमरन का संदेश देकर धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। इससे यह स्पष्ट है कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब केवल एक क्षेत्र या एक धर्म का पवित्र ग्रन्थ नहीं है, बल्कि सारी मानवता को सांप्रदायिक एकता और विश्व शांति का उपदेश देने वाले सर्व सांझे ग्रन्थ हैं।

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गुरु ग्रंथ साहिब में 6 गुरुओं, विभिन्न धर्मों के 15 भक्तों, 11 भट्टों और अन्य गुरसिखों की बाणी दर्ज हैं। इस पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब में आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करने के लिए कल्याण के प्रवचनों के माध्यम से संपूर्ण मानव जाति को आध्यात्मिक उत्थान और नैतिक परिपक्वता का संदेश दिया गया है। किसी भी धर्म, किसी भी देश के मनुष्य को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी से अपने प्रत्येक प्रश्न का उपयुक्त उत्तर जरूर मिलता है।

गुरु अरजन देव जी महाराज ने सबसे पहले अपनी और अपने पूर्ववर्ती गुरु साहिबों, भगत साहिबों, भट्टों और सिखों की बाणी का संपादन बड़े परिश्रम से किया। यह सारा पवित्र कार्य भाई गुरदास जी ने गुरु साहिब की देखरेख में रमणीक और पवित्र स्थान श्री रामसर, अमृतसर की जगह पर बैठकर किया। शब्द गुरु के संपादन का कार्य 1601 ई. में प्रारंभ हुआ और 1604 ई. में सम्पन्न हुआ।

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जब पोथी परमेश्वर का थान नाम का यह पवित्र ग्रंथ साहिब पूरा हुआ, तो भाई बन्नो जी को इसकी जिल्द बंधवाने के लिए लाहौर भेजा गया। सारा कार्य पूर्ण होने पर बाबा बुद्ध जी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को अपने मस्तक पर धारण कर गुरुद्वारा रामसर साहिब वाली जगह से बड़ी संख्या में भक्तों के साथ नगर कीर्तन के रूप में श्री हरमंदिर साहिब के लिए रवाना हुए। सारे रास्ते गुरु अरजन देव जी महाराज चौर साहब की सेवा करते रहे तथा संगतों ने पूर्ण श्रद्धा के साथ फूलों और इत्र की वर्षा जारी रखी।

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गुरु अरजन देव जी महाराज ने बाबा बुढ्ढा जी को सचखंड श्री हरमंदिर साहिब का पहला प्रमुख ग्रंथी नियुक्त किया। गुरु अरजन देव जी ने बाबा बुढ्ढा जी को गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश (खोल कर पढ़ने) करने के लिए कहा। इस प्रकार सचखंड श्री हरमंदिर साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पहला प्रकाश भादों सुदी एक 1661 विक्रमी को हुआ। बाबा जी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का सम्मान के साथ प्रकाश किया और पहला पवित्र हुकमनामा इस प्रकार आया:

संता के कारजि आपि खलोइआ हरि कमु करावणि आइआ राम ॥ (अंग 783)

प्रथम प्रकाश के दिन से ही इस महान पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब जी को श्री हरमंदिर साहिब में प्रतिदिन सुबह अमृत बेला के समय प्रकाश किया जाता और हुकमनामा लिया जाता। सारा दिन कीर्तन प्रवाह और सेवा चलती रहती। गुरबानी के कीर्तन प्रवाह से श्री हरमंदिर साहिब में दिव्य वातावरण बन गया। इस नए स्थान और इसके अंदर के गौरवशाली गुरु ग्रंथ साहिब जी के दर्शन के लिए दूर-दूर से संगत प्रतिदिन आने लगीं। शाम के समय संगत अकाल पुरख के आशीर्वाद से इस महान पवित्र ग्रंथ को अपने सिर पर रख कर इसे सुख आसन स्थान पर श्रद्धा के साथ छोड़ आती। यह परंपरा अभी भी चल रही है।

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कलगीधर पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने तख्त श्री दमदमा साहिब तलवंडी साबो में भाई मनी सिंह जी से पहले गुरु ग्रंथ साहिब में नौवें पातशाह श्री गुरु तेग बहादुर जी की बाणी दर्ज करवाई। जब श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज इस दुनिया की अपनी यात्रा समाप्त कर अकाल पुरख के देश जाने के लिए तैयार हुए, तो उन्होंने कौम को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी लड़ लगाने (साथ जोड़ने) का पवित्र कार्य शुरू किया। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को हमेशा के लिए शाश्वत गुरु बनाने का यह अलौकिक और चमत्कारी कार्य 1708 ईस्वी में नांदेड़ (अब हजूर साहिब, महाराष्ट्र) में किया गया था। गुरु साहिब जी ने आदेश दिया कि आज से आपको शब्द गुरु श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को अपने गुरु के रूप में स्वीकार करना होगा और वे हमेशा के लिए अटल गुरु हैं। इस आध्यात्मिक खजाने को गुरिआइ देते हुए, दशम पातशाह जी ने आदेश किया:

अकाल पुरख के बचन सिऊ, प्रगट चलायो पंथ।।
सभ सिक्खन को हुकम है गुरु मानिओ ग्रन्थ।। (भाई प्रह्लाद सिंह जी)

इस प्रकार दशमेश पिता जी द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार, प्रत्येक सिख के लिए, शब्द गुरु श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी अटल गुरु हैं और हर सिक्ख को शब्द गुरु श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी से ही सभी प्रकार की आध्यात्मिक, आत्मिक और मानसिक जरूरतें प्राप्त करनी हैं।

Waheguru Ji Ka Khalsa Waheguru Ji Ki Fateh
– Bhull Chuk Baksh Deni Ji –

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