कलगी वाले ने केहा””महां सिंघा,,
लथा अज एह सीस तों भार मेरा….
इतने चिरां तों इसनु सी सांभ रखेया मैं,,
मतां मंग ना लवे जथेदार मेरा…
तूँ कहें ते मैं इसनु ना पाँड़ा,,,
किदां हो सकदे इंकार मेरा…
जा वे तूँ वी साथियाँ नाल रल जा,,
जिधर गया अजीत,जुझार मेरा…
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